Tuesday, December 16, 2014

Delhi Public School Agra

DPS Agra promises to deliver world - class holistic education to its students. Education that imparts knowledge by instilling confidence. Students are encouraged to ask questions instead the other way round because we believe that a curious mind is the receptacle of learning. We allow young children to explore 'the outside' because learning cannot be confined within the four walls of the classroom and that there is no better teacher than nature. We have embraced technology and innovation with an open mind because children of this millennium have to master technology and not become its slave. Our efforts are backed by the ergonomic and scientifically designed campuses which are a learning space as a whole. Emphasis is been laid on utilizing natural resources to the fullest. Students are taught the importance of environmental conservation through conscious minimizing and recycling of waste and making the school a zero - tolerant zone for plastics and polybags.

MY FRIENDS



Monday, May 19, 2014

C++ coding for Tic Tac Toe game

#include <conio.h>
#include <iostream>
using namespace std;

void ticTacToe() {
    char w = 0, b[9] = { '1','2','3','4','5','6','7','8','9' };
    char player[][9] = { "Player O", "Player X" };
    unsigned int slot = 0, turn = 1, moves = 0;
    for(;;) {
        system("cls");
        cout << "Tic Tac Toe!" << endl << endl;
        cout << "   " << b[0] << "|" << b[1] << "|" << b[2] << endl << "   -+-+-" << endl;
        cout << "   " << b[3] << "|" << b[4] << "|" << b[5] << endl << "   -+-+-" << endl;
        cout << "   " << b[6] << "|" << b[7] << "|" << b[8] << endl << endl;
        if (w || (++moves > 9)) {
            if (w) cout << player[w=='X'] << " is the winner!!!" << endl << endl << endl;
            else   cout << "No Winner!!!" << endl << endl << endl;
            cin.clear(); cin.ignore(~0u>>1, '\n'); _getch();
            return;
        }
        cout << player[turn^=1] << " Choose a Slot... ";
        cin  >> slot;
        if (slot < 1 || slot > 9 || b[slot-1] > '9') {
            cout << "Please Choose A Valid Slot!!!" << endl;
            cin.clear(); cin.ignore(~0u>>1, '\n'); _getch();
            turn^=1; moves--;
            continue;
        }
        b[slot-1] = turn ? 'X' : 'O';
        ((((b[0]==b[1]&&b[0]==b[2]&&(w=b[0])) || (b[3]==b[4]&&b[3]==b[5]&&(w=b[3]))
        || (b[6]==b[7]&&b[6]==b[8]&&(w=b[6])))||((b[0]==b[3]&&b[0]==b[6]&&(w=b[0]))
        || (b[1]==b[4]&&b[1]==b[7]&&(w=b[1])) || (b[2]==b[5]&&b[2]==b[8]&&(w=b[2])))
        ||((b[0]==b[4]&&b[0]==b[8]&&(w=b[0])) || (b[2]==b[4]&&b[2]==b[6]&&(w=b[2])))));
    }
}

int main() {
    for(;;) ticTacToe();
    return 0;
}

Friday, May 02, 2014

Iranian Man Goes Without a Bath for 60 Years







An Iranian man has gone 60 years without a bath and you have to see the results to believe it.  Claiming that cleanliness makes him ill, 80 year-old Amou Haji is now being called the world’s dirtiest man.
Haji spends his life in isolation, essentially living in a hole in Dejgah village, located in the Iranian province, Fars.  His diet consists mainly of rotten meat, porcupine being his favorite, and smokes animal feces.  Haji reports that the very idea of taking a bath after going without for so long makes him ill and angry.
Claiming various emotional setbacks in his younger days, Haji is more than comfortable with the lifestyle he has adopted.  He lives in utter isolation in his small Iranian village, no one around to tell him to bathe or that he smells bad.  It seems to suit him quite well.
Exactly what does a man who goes without bathing for 60 years do for relaxation?  Why, pack his pipe with the feces of animals, of course.  When not smoking animal poo he does like to smoke regular old cigarettes, smoking them five or more at a time.
In addition to his aversion to bathing, Haji also claims an aversion to food and clean drinking water.  He prefers to eat the meat of rotting animals over any fresh kill.  Hydration is not an issue for him, he gets his five liters of drinking water a day out of a rusty old oil can.  Given the fact that Haji is over 80 years-old one would imagine that his diet isn’t doing him too much harm.
Lest we think that Haji has given up on grooming altogether, he does allow himself haircuts.  When in need he simply burns it off and tosses it into the fire.  When he feels like checking on his appearance he simply glances in the side mirrors of cars as they pass him by, clearly slowing down to get a good, long look at someone who has gone without a bath for 60 years.  His wardrobe consists of old rags and, in the colder months, he allows himself to wear an old warm helmet to keep warm.
As for shelter, Amou Haji has two domiciles in which to choose from.  His favorite being a simple hold in the ground, approximately the size of a grave.  The other is an modest brick house that was built by locals who felt sorry for him. He sleeps without the aid of a mattress or pillows, preferring to use the earth as his bed.  Haji has no possessions so there is no fear of being robbed.
Yes, the Iranian man who has gone without a bath for over 60 years may live a different life than most.  But he lives with no mortgage, no electricity bills, no car insurance  His worries are few.  His wants are simple.  He is at peace with himself and the life he has chosen to live. Just don’t ask him to bathe.


Sunday, April 27, 2014

Dangerous Egg Facts

अण्डे का सच और रहस्य जिसे पढ़ कर सारा भारत देश अंडा खाना छोड देगा !

आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है ,ब्राह्मणों से लेकर जैनियों तक सभी ने खुल्लमखुल्ला अंडा खाना शुरू कर दिया है ...खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ

मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय मनुष्य) में एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार,.. चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है ..उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है ..यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में ...शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है

इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है ..

इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये ..वह पौधा सूख जाएगा ,

अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर

१) पक्षियों (मुर्गियों) में भी अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ,

२) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है

३) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है

४) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में (estrogen) हार्मोन के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermia, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि ...

वहीँ स्त्रियों में अनियमित मासिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है

५) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है .

६) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है

7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक , और अपवित्र और चंडाल कर्म है

इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है

Gaya (Cow) Facts

गाय का अनंत ज्ञान - विज्ञानं तीव्र होता है ।

पौराणिक कथाओं में तो गाय के बोलने का उल्लेख हैं । वह किसी आसन्न दुर्घटना की चेतावनी अपने स्वामी को देकर उसके बचने में सहायक होती थी । तब विधाता ने गाय को मूक कर दिया ताकि विधि के विधान में परिवर्तन ना हो ।

गाय लोगों के सुख दुःख में प्रभावित होती है । गायों के आंसू बहाने तथा अपने स्वामी से सहानुभूति में आहार न करने के अनेकों उदाहरण हैं ।

संकट का पूर्व ज्ञान :

महाराष्ट्र के लातूर में ३० सितंबर, १९९३ के दिन एक विनाशकारी भूकंप आया । उस स्थान पर रहनेवाली देवानी गायें उसके कुछ दिन पहले लोगों को चेतावनी के रूप में विचित्र व्यवहार करने लगीं, जैसे रोना, कूदना । उस चेतावनी को हम समझ नहीं पायें ।
२००४ की सुनामी के पहले भी ऐसी घटनाएँ घटी । तब बरगूर, अंब्लाचेरी और कंगायम प्रजाति की गायों ने भी ऐसा ही विचित्र व्यवहार किया । हम पुनः उस संदेश को समझ नहीं पायें । क्या येसी प्रकृति तथा मानव जाती की हितैसी गायो को राष्ट्रिय प्राणी घोषित नहीं होना चाहिए ? कृप्या हरेक मित्र प्रधान मंत्री को कम से कम एक बार मेल करे या पत्र लिखे मेल आई डी पता लिख रहे है 

Maharishi Agastya

महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ॠषि थे। इन्हें सप्तर्षियों में से एक माना जाता है। ये वशिष्ठ मुनि (राजा दशरथ के राजकुल गुरु) के बड़े भाई थे। वेदों से लेकर पुराणों में इनकी महानता की अनेक बार चर्चा की गई है | इन्होने अगस्त्य संहिता नामक ग्रन्थ की रचना की जिसमे इन्होने हर प्रकार का ज्ञान समाहित किया |
इन्हें त्रेता युग में भगवान श्री राम से मिलने का सोभाग्य प्राप्त हुआ उस समय श्री राम वनवास काल में थे |
इसका विस्तृत वर्णन श्री वाल्मीकि कृत रामायण में मिलता है | इनका आश्रम आज भी महाराष्ट्र के नासिक की एक पहाड़ी पर स्थित है |


राव साहब कृष्णाजी वझे ने १८९१ में पूना से इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की। भारत में विज्ञान संबंधी ग्रंथों की खोज के दौरान उन्हें उज्जैन में दामोदर त्र्यम्बक जोशी के पास अगस्त्य संहिता के कुछ पन्ने मिले। इस संहिता के पन्नों में उल्लिखित वर्णन को पढ़कर नागपुर में संस्कृत के विभागाध्यक्ष रहे डा. एम.सी. सहस्रबुद्धे को आभास हुआ कि यह वर्णन डेनियल सेल से मिलता-जुलता है। अत: उन्होंने नागपुर में इंजीनियरिंग के प्राध्यापक श्री पी.पी. होले को वह दिया और उसे जांचने को कहा।
श्री अगस्त्य ने अगस्त्य संहिता में विधुत उत्पादन से सम्बंधित सूत्रों में लिखा :


संस्थाप्य मृण्मये पात्रे
ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन
चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥
-अगस्त्य संहिता

अर्थात
एक मिट्टी का पात्र (Earthen pot) लें, उसमें ताम्र पट्टिका (copper sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगायें, ऊपर पारा (mercury‌) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो, उससे मित्रावरुणशक्ति का उदय होगा।

अब थोड़ी सी हास्यास्पद स्थति उत्पन्न हुई |

उपर्युक्त वर्णन के आधार पर श्री होले तथा उनके मित्र ने तैयारी चालू की तो शेष सामग्री तो ध्यान में आ गई, परन्तु शिखिग्रीवा समझ में नहीं आया। संस्कृत कोष में देखने पर ध्यान में आया कि शिखिग्रीवा याने मोर की गर्दन। अत: वे और उनके मित्र बाग गए तथा वहां के प्रमुख से पूछा, क्या आप बता सकते हैं, आपके बाग में मोर कब मरेगा, तो उसने नाराज होकर कहा क्यों? तब उन्होंने कहा, एक प्रयोग के लिए उसकी गरदन की आवश्यकता है। यह सुनकर उसने कहा ठीक है। आप एक अर्जी दे जाइये। इसके कुछ दिन बाद एक आयुर्वेदाचार्य से बात हो रही थी। उनको यह सारा घटनाक्रम सुनाया तो वे हंसने लगे और उन्होंने कहा, यहां शिखिग्रीवा का अर्थ मोर की गरदन नहीं अपितु उसकी गरदन के रंग जैसा पदार्थ कॉपरसल्फेट है। यह जानकारी मिलते ही समस्या हल हो गई और फिर इस आधार पर एक सेल बनाया और डिजीटल मल्टीमीटर द्वारा उसको नापा। परिणामस्वरूप 1.138 वोल्ट तथा 23 mA धारा वाली विद्युत उत्पन्न हुई।

प्रयोग सफल होने की सूचना डा. एम.सी. सहस्रबुद्धे को दी गई। इस सेल का प्रदर्शन ७ अगस्त, १९९० को स्वदेशी विज्ञान संशोधन संस्था (नागपुर) के चौथे वार्षिक सर्वसाधारण सभा में अन्य विद्वानों के सामने हुआ।


आगे श्री अगस्त्य जी लिखते है :
अनने जलभंगोस्ति प्राणो
दानेषु वायुषु।
एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृत:॥

सौ कुंभों की शक्ति का पानी पर प्रयोग करेंगे, तो पानी अपने रूप को बदल कर प्राण वायु (Oxygen) तथा उदान वायु (Hydrogen) में परिवर्तित हो जाएगा।

आगे लिखते है:
वायुबन्धकवस्त्रेण
निबद्धो यानमस्तके
उदान : स्वलघुत्वे बिभर्त्याकाशयानकम्‌। (अगस्त्य संहिता शिल्प शास्त्र सार)

उदान वायु (H2) को वायु प्रतिबन्धक वस्त्र (गुब्बारा) में रोका जाए तो यह विमान विद्या में काम आता है।
प्राचीन भारत में विमान विद्या थी | विमान शास्त्र की रचना महर्षि भरद्वाज ने की जिसके बारे में हम पहले ही देख चुके है | पढने के लिए यहाँ क्लिक करें|
http://www.vedicbharat.com/2013/02/blog-post.html

राव साहब वझे, जिन्होंने भारतीय वैज्ञानिक ग्रंथ और प्रयोगों को ढूंढ़ने में अपना जीवन लगाया, उन्होंने अगस्त्य संहिता एवं अन्य ग्रंथों में पाया कि विद्युत भिन्न-भिन्न प्रकार से उत्पन्न होती हैं, इस आधार पर
उसके भिन्न-भिन्न नाम रखे गयें है:

(१) तड़ित्‌ - रेशमी वस्त्रों के घर्षण से उत्पन्न।
(२) सौदामिनी - रत्नों के घर्षण से उत्पन्न।
(३) विद्युत - बादलों के द्वारा उत्पन्न।
(४) शतकुंभी - सौ सेलों या कुंभों से उत्पन्न।
(५) हृदनि - हृद या स्टोर की हुई बिजली।
(६) अशनि - चुम्बकीय दण्ड से उत्पन्न।


अगस्त्य संहिता में विद्युत्‌ का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबा या सोना या चांदी पर पालिश चढ़ाने की विधि निकाली। अत: अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone) कहते हैं।

आगे लिखा है:
कृत्रिमस्वर्णरजतलेप: सत्कृतिरुच्यते। -शुक्र नीति

यवक्षारमयोधानौ सुशक्तजलसन्निधो॥
आच्छादयति तत्ताम्रं
स्वर्णेन रजतेन वा।
सुवर्णलिप्तं तत्ताम्रं
शातकुंभमिति स्मृतम्‌॥ ५ (अगस्त्य संहिता)

अर्थात्‌-
कृत्रिम स्वर्ण अथवा रजत के लेप को सत्कृति कहा जाता है। लोहे के पात्र में सुशक्त जल अर्थात तेजाब का घोल इसका सानिध्य पाते ही यवक्षार (सोने या चांदी का नाइट्रेट) ताम्र को स्वर्ण या रजत से ढंक लेता है। स्वर्ण से लिप्त उस ताम्र को शातकुंभ अथवा स्वर्ण कहा जाता है।

उपरोक्त विधि का वर्णन एक विदेशी लेखक David Hatcher Childress ने अपनी पुस्तक " Technology of the Gods: The Incredible Sciences of the Ancients" में भी लिखा है । अब मजे की बात यह है कि हमारे ग्रंथों को विदेशियों ने हम से भी अधिक पढ़ा है । इसीलिए दौड़ में आगे निकल गये और सारा श्रेय भी ले गये ।

आज हम विभवान्तर की इकाई वोल्ट तथा धारा की एम्पीयर लिखते है जो क्रमश: वैज्ञानिक Alessandro Volta तथा André-Marie Ampère के नाम पर रखी गयी है |
जबकि इकाई अगस्त्य होनी चाहिए थी |

Dharm aur Paap


Tuesday, April 22, 2014

against foreign language

-स्वतंत्र राष्ट्र गुलामी की भाषा को नहीं अपनाते-
भारत स्वतंत्र तो हो गया पर भाषाई स्वतंत्रता अभी भी नहीं मिली। न्यायालय की भाषा,शिक्षा प्रशासन आदि सब कुछ भारत में अंग्रेजों द्वारा दिया हुआ चल रहा है। ताकि हमारा देश फिर से गुलाम बन सके।
इसको सुधारना ही होगा। भारत को सच्ची आजादी दिलानी ही होगी।
भारतीय भाषा-अभियान
भारतीय भाषा-अभियान पन्ना(पेज) फेसबुक पर भारतीय भाषाओं,भारतीय शिक्षा पद्धति , भारत का स्वर्णिम इतिहास एवम् भारतीयताकी जानकारी से भारतीय नागरिकों को जागरूक करने के लिए तैयार किया है। इस पन्ना से जरुर जुड़े।

Terror of Terrorism

MUJHE LADNA HAI TUMSE, HA AAJ ULAJHANA HAI TUMSE.
KITNO KI JAAN LI HAI TUMNE,KITNO HE  GHARO KO UJADA HAI TUMNE. 
MON KHADA AB NA SAHUNGA,AAGE BADH TUMSE LADUNGA.
TUM HO MOUT K SOUDAEGAR,KYA MILA KHUN KHRABA FELAKAR. 
SAWALO K DAYRO MAY AB NA GHUTUNGA ,AAGE BADH TUMSE LADUNGA. 
AAKHIR KAB DEHLTA RAHEGA MUMBAI,AB HUME KUCH KARNA HOGA. 
AAKHIR KAB TAK LOGO KA KHUN BAHTA RAHEGA ,AB HUME KUCH KARNA HOGA. 
AB NA NETAO K BHROSE REHNA HOGA,NA POLICE K BHAROSE REHNA HOGA. 
AB TO HUME HE KUCH KARNA HOGA

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ajab gajab

ये अजब-गजब संसार है साहब। इथोपिया की अनोखी सूरी जनजाति ऐसी है जो लड़कियों के होंठ में डिस्क घुसाकर सुंदर बनाती है।